सोमवार, १४ डिसेंबर, २०२०

भुलना चाहता हुं

आज तक बहुत पी दारु
अब दारु के बिना जिना चाहता हुं||
भुल जाऊंगा उस रम को लेकीन 
भुलने केलिए थोडा पिना चाहता हुं||

sandip jagtap

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